कविता

शुभचिंतक हैं शिव

शिव भक्तों को वर्ष भर रहता है बड़ा इंतजार,
चारों ओर जब गूंजता महादेव का जय जयकार,
पूजा, उपासना, आराधना, रुद्राभिषेक तब
बन जाता धरा पर जन जन का जीवन आधार।
सर्व आधार शिव बिन माया, मोह, ज्ञान, समझ बेकार,
शिव की शक्ति,भक्ति से जिनका हुआ न साक्षात्कार,
सृजन का आधार शिव,  संस्कृति, प्रकृति के रचनाकार,
शिव ही सृष्टि के हैं सबसे बड़े कलाकार चित्रकार।
मानव के जीवन में होता भोलेनाथ का चमत्कार
अजूबा लगता दुनिया को जब होती शिव-कृपा अपार है,
जब मानव के जीवन में होने लगता चमत्कार
सूक्ष्म अणु भी महाकाय-सा बन होता गुलजार है।
सूर्योदय से सूर्यास्त तक, सांध्यकाल से रश्मि-प्रभा तक शिव-आभा से दमक उठता ये जहां संसार
माँ गंगा को शिवशंकर ने ही तो धरा पर दिया उतार
मोक्षदायिनी गंगा आज करती जन-जन का उद्धार।
विष, अमृत, क्षुधा, तृप्ति हर सुख दुःख भी है शिव
आदि, अनादि, अनंत कण-कण में विद्यमान है शिव,
भोलेनाथ हैं भोलेभाले  सबके शुभ चिंतक हैं शिव
क्रोध में जब आ जाते, तांडव नर्तक भी बनते हैं शिव।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921