गीत/नवगीत

नव संवत्सर 2081

अंग्रेजी नववर्ष,धूमधाम से मनाया
चाकलेट बांटी और, जश्न मनाया
आज से हमारा, नया संवत्सर है
गुड़ी पड़वा का, शुभ अवसर है।।

आज से शुरू, संवत् 2081
ईश्वर करे सबकी, दूर हो उदासी
धन-धान्य, ऐश्वर्य, में हो वृद्धि
घर-घर में हो, भरपूर समृद्धि ।।

प्रभात फेरी में, हो जाओ शामिल
बांटों खुशियां, रहो सब, हिल मिल
नन्हे मुन्नों को भी, साथ ले जाओ
उन्हें त्यौहार का,महत्व समझाओ।

सब पारम्परिक, वेशभूषा अपनाएं
मिलजुल कर हम, नव-वर्ष मनाएं
झूमे नाचें गाएं, आनंद मनाएं
जाकर मंदिर, प्रभु को शीष नवाएं

अब केसरिया, घर-घर लहराए
हिन्दू कहने में, कोई शर्म न आए
जात-पात के, सारे भेद भुलाकर
आओ राष्ट्र को, मजबूत बनाएं।।

वर्ष भर शुभता, का हो बोलबाला
मिटे भ्रष्टाचार, न हो, दामन काला
शिक्षा, स्वास्थ्य, की बढ़ें सुविधाएं
सबको ज्ञात हों, अपनी मर्यादाएं।

देश प्रगति मार्ग पर, अग्रसर हो
बेरोज़गारी पर, प्रभावी पकड़ हो
लाल फीता शाही, हमें न जकड़े
अर्थ-व्यवस्था और, रफ्तार पकड़े।

न्याय प्रणाली हो, जरा पारदर्शी
यह ही है अब, जन जन की मर्जी
लोकतंत्र और हो, मजबूत हमारा
भारत बने, विश्वगुरु दुवारा।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई