नयी कहानी
तुम्हारे द्वारा लिखी जा रही
नयी कहानी का
मैं हूँ नायक
तुम्हारा आभारी हूँ कि
मुझे चुना और
माना इस लायक
ऐसे तो मैं साधारण इंसान हूँ
पर कवि होने के नाते
शब्दों का हूँ मैं उपासक
चाहता हूँ कि
लिखने से पहले तुम मुझे
लो अच्छी तरह से परख
दूर से लगती होगी मेरी शरारत
तुम्हें मनमोहक
पर मुझे ज्ञात नहीं
मुझमे किस हद तक हैं शराफ़त
हाँ मुझमे नहीं है दहशत
जो भी कहना चाहता हूँ
लिख दिया करता हूँ बेझिझक
काव्य के जरिये
किसी प्राचीन कंदरा सा
खुद ही खुल रहा हूँ
परत दर परत
प्रकृति ,ईश्वर और कल्पना
के सौंदर्य का
वर्णन करना है मेरा मकसद
इस कायनात के महाशून्य
के निरुत्तर मौन सा
मेरे भीतर भी हैं
एक चिर जिज्ञासा
जो
रहस्यमयी है
और हैं जो
अंतरिक्ष के सदृश्य व्यापक
उसी सौंदर्य से
उसी रहस्य से है मुझे मुहब्बत
तुम्हारी निगाहों में
मैंने उसी तन्हाई के सागर को देखा है
इसीलिए तुम भी
मुझे लगती हो चित्ताकर्षक
मुझ पर कथा लिखने से पहले
तुमसे मेरी यही है गुज़ारिश कि
तुम ही नायिका के रूप में
करना अपना चरित्र चित्रण
ताकि वास्तविक जीवन में
जो प्रेम न हो पाया
वह दो पात्रों के माद्यम से
हो सके प्रकट
पूरी कहानी पढकर
कभी रोमांचित
कभी अश्रुपूरित
हो जाए पाठक
तुम्हारे द्वारा लिखी जा रही
नयी कहानी का
मैं हूँ नायक
तुम्हारा आभारी हूँ कि
मुझे चुना और
माना इस लायक
किशोर कुमार खोरेन्द्र
एक कवी कहाँ कहाँ पौहंच जाता है , इस को एक कवी ही समझ सकता है . बहुत गेहराई वाली कविता .
बहुत गहरे अर्थ लिये हुए है यह कविता. हमारे जैसे साधारण जनों की समझ के स्तर से बहुत ऊपर !