कविता

होली खेलूं तुम्हारे संग

हाथों में लेकर आत्मीयता के रंग

मिट जाए सारी कटुता

प्रेम का रह जाए सिर्फ
तुम्हारे और मेरे बीच संबंध
नयनों से नयन मिले
शब्दों के बिना
बाते हो जाए अन्तरंग
मेरी साँसों में बस जाए
तुम्हारे देह की चन्दन सी सुगंध
तुम्हे ही स्मरण करते हो
मेरी हर प्रात: का आरंभ
इस सुखद ..
संयोग का कभी न हो अंत
मन से उन्मुक्त हो दोनों हम
परन्तु
अंग अंग में बना रहे संयम

होली खेलूं तुम्हारे संग
हाथों में लेकर आत्मीयता के रंग

kishor kumar khorendra 

 

 

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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