मैं जीवन का संबल हूं….
मैं जीवन की धारा हूं
गंगा सी शीतल निर्मल हूं।
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं॥
मैं झांसी की रानी हूं
दुर्गा हूं, जीजाबाई हूं।
सदियों से इस जग को
मैं नव राह दिखाती आई हूं॥
मै दुष्टों का काल भी हूं, ममता का प्यारा आंचल हूं…
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….
ममता की मूरत टेरेजा
इंदिरा और कल्पना मैं हूं।
शाको से जीवन संचय
करने वली शाकुंभरा मैं हूं॥
फूल भी हूं, शोला भी हूं, जीवन भी हूं और जल हूं…
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….
हाथ मिला भाई का तो
राखी बन प्यार निभाती हूं।
मन का मीत मिला तो मैं
सर्वस अर्पण कर जाती हूं॥
मैं अतीत भी हूं दुनियां का, आज भी हूं, मैं ही कल हूं….
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….
आंखे खोलो नादानों
किस पर तुम जुल्म ढहाते हो।
जिसने तुमको जन्म दिया है
उसे मिटाना चाहते हो॥
बंद करो ये पाप नही तो, मैं ही काली का बल हूं….
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….
सतीश बंसल
सुंदर सृजन
बहुत सुंदर !
बहुत शुक्रिया विजय जी, खुशी जी…