लघुकथा

लघुकथा : वही घटना

करीब दो घण्टे से बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी और घर में बहू के तानों की बरसात बराबर चालू थी। रामनरेश जी को आज बहू के ताने विष बुझे तीर के समान कड़वे लग रहे थे। जब सहन शक्ति चुक गयी तो पत्नी सुरेखा का हाथ पकडा़ और तेज बारिश में ही वृद्ध आश्रम के लिए बाहर निकल गए।
थोड़ी देर बाद निर्मल बाजार से लौट कर घर आया और उसने बताया कि उसके सास-ससुर यानी बहू के माता-पिता उसे पास ही के पार्क में बैठे मिले जो भीगने के कारण थर-थर काँप रहे थे| उसकी पत्नी का मायका उसी शहर में ही था |
“बाबूजी-माँ! देखो, आप लोगों के लिए गरमागरम गाजर का हलवा लाया हूँ। जल्दी आओ, सब मिलकर साथ ही खाएंगे।”
निर्मल के आवाज देने पर जब उसके माँ-बाबू जी नही आये तो उसने पत्नी से पूछा |
अपने माँ -पापा को इस हालत में देखकर निर्मल की पत्नी जान चुकी थी कि उसके माँ-बाबू जी के साथ भाभी ने भी शायद .. …

शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ