गीतिका/ग़ज़ल

विदाई

आज सुबह से दिल बार बार कह रहा है
गुजरे हुये लम्हों पर इतबार कर रहा है
बीत गया एक बचपन आँखों के सामने
बेटी की डोली है आँसू विचार कर रहा है॥
गत कुछ साल में बड़ी हुई नन्ही सी परी
आज घूँघट में रुकसत इंतजार कर रहा है॥
खिखिलाती हंसी कूंकती कोयलिया मानों
बिरह बाबुल के अंगना चिक्कार कर रहा है॥
हर कोने में छिप जाती चंचल मुस्कान लिए
बेसुध माँ का मचिया आज गुहार कर रहा है॥
बिन भार का भार कैसे हो जाती हैं बेटियाँ
देखों आज उसका भार ही उद्धार कर रहा है॥
झूठ नहीं बोलते आँसू हर चेहरे से पूछ लो
बेटी बाबुल घर पराई शिष्टाचार कर रहा है॥
विदाई की घड़ी बेटी किसी की हो गौतम
छलकते हैं आँसू आज लाचार कर रहा है॥

— महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

3 thoughts on “विदाई

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    दिल को छूती रचना

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    दिल को छूती रचना

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीया, हार्दिक आशीर्वाद

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