गीत : तुम गये तो मेरी प्यास गई
तुम गए तो जैसे प्राण गए,
मेरे जीवन की आस गई
तर्षित थी मैं जन्मों से,
तुम गए तो मेरी प्यास गई
जीवित तो…. अब भी हूँ मैं
मैं हर्षित…. भी रह लेती हूँ
तुम बिन चिंतन शून्य है पर
मैं कल्पित भी रह लेती हूँ
जीनेकी चाह थी मेरी भी,
तुम गए तो मेरी साँस गई
तर्षित थी मैं जन्मों से,…
तुम गए तो मेरी प्यास गई
तुम जो गए.. तो प्रेम गया
प्रेम गया…. तो शांति गई
तुम बिन मुझमें तेज नहीं
मुख की मेरे …कांति गई
तुम ही थे मेरे कृष्ण सखा,
तुम गए तो मेरी रास गई
तर्षित थी मैं जन्मों से,…
तुम गए तो मेरी प्यास गई
तुमसे ही तो जीवन था
तुमसे ही तो बंधन था
तुमसे ही हर्षित थी मैं
तुमसे ही जग नंदन था
तुमसे ही तो सपने थे, ….
अब सपनों की भी लाश गई
तर्षित थी मैं जन्मों से,…
तुम गए तो मेरी प्यास गई
— गंगा गैड़ा