मन के भाव — दोहे के रूप में
1–
अक्षर-अक्षर सीख ले, कहती रही किताब।
इम्तिहान के दौर में, पूछत फिरै जबाब ।।
2 —
सर्दी के दिन देख के, सूरज मांगे ताप।
धूप पड़ी सुस्तात है, मुख से निकले भाप।।
3 —
चोट लगे दिल पर कभी, मन को दीजे धार।
क्रोध कभी ना पालिये, करिये शब्द प्रहार।।