गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

अब चमन नया बनाएँगे
फूल न यहाँ मुरझाएँगे|
सच को थामे जग में ही
भ्रम को सब हटाएँगे |
सात रंगो की ले चाहत
खिलते लव मुसकाएँगे|
जब मुश्किल की आहट हो
पीछे हट ना पाएँगे|
सब एक स्वर ले आएँगे
गाना गा बहलाएँगे|
रेखा बढते जाएंगे
भर दम गम भूलाएँगे|

— रेखा ९/८/२०१७

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]

2 thoughts on “गज़ल

  • बबली सिन्हा

    लाजवाब !

    • रेखा मोहन

      शुक्रिया आदरणीया आपका .

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