लेख- उदारता और कंजूसी
उदारता जहां मानव के सर्वश्रेष्ठ गुणों में से एक है वहीं कंजूसी को अधिकांश लोग अच्छा गुण नहीं मानते। परंतु अगर सही स्थान और सही स्थिति में कंजूसी की जाए तो इसके अनेक लाभ हो सकते हैं। मेरे विचार से मनुष्य को उदार भी होना चाहिए एवं कंजूस भी।
उदार सबके लिए, कंजूस अपने लिए
प्रशंसा करने में उदार बनें और ईर्ष्या करने में कंजूस
मदद करने में उदार बनें और आशा रखने में कंजूस
प्रसन्नता बांटने में उदार बनें और क्रोध करने में कंजूस
क्षमा करने में उदार बनें और शत्रुता करने में कंजूस
आदर देने में उदार बनें और अभिमान करने में कंजूस
किसी की भूल या असफलता को देखकर प्रसन्न होने की बजाय उसकी सहायता करें, उसे अपने पैरों पर पुनः खड़े होने की प्रेरणा दें। दूसरों से हमेशा वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप दूसरों से अपने लिए चाहते हैं।
— भरत मल्होत्रा