कविता “पिरामिड” *महातम मिश्र 04/04/2018 ये दंगा दंगाई बेवफाई संपत्ति नाश कुंठित विश्वास क्यो किसका विनाश॥-1 ये हल्ला हुल्लड़ सपर्पण प्रत्यारोपण मिथ्या आकर्षण छल छद्म घर्षण॥-2 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी