कविता

प्रहरी

वो सीमा का प्रहरी है,
किसी से कुछ न कहता है,
हर विपदा को सहता है,
वो केवल मौन रहता है।
हर उत्सव महोत्सव,
वो सीमा पर मानता है,
तुम दीपक जलाते हो,
वो दिल को जलाता है।
चाँदनी रात में अक्सर ,
वो ख़्वाबों को सजाता है,
अपना बिता हुआ बचपन,
 ख़्यालों में वो लाता है।
अम्बर   से   एक   तारा,
अचानक  टूट जाता है,
साथ अपनों की यादों का,
पल भर में छूट जाता है।
आँखों में लिए सैलाब ,
घऱ वालों के लेकर ख़्वाब,
तूफानों से न डरता है,
तुम सोते हो,वो जगता है।
वो सीमा का प्रहरी है,
किसी से कुछ न कहता है,
हर विपदा को सहता है,
वो केवल मौन रहता है।
— विकास शाहजहाँपुरी

विकास शाहजहाँपुरी

नाम-विकास सिंह, पिता का नाम-ओमवीर सिंह जन्मतिथि-15अगस्त1996 पता-शाहजहाँपुर ,(उप्र) पिन न0 242001 शिक्षा-बी0ए हिंदी साहित्य,अर्थशास्त्र से, वर्तमान में,:- आर्मी सोल्जर , विभिन्न समाचार पत्र,पत्रिकाओं में, प्रकाशित 200 से अधिक रचनायें,, लेखन की शुरुआत,,12 वर्ष की आयु से, प्रिय कवी:-जयशंकर प्रसाद। Email ID -yuvasahityakar@gmail.com मो0न0 9451721001 WhatsApp n0 9875542047 मेरी सफलता का सूत्र,, दुनियां मेरे बारे में क्या सोचती है, मैं ये नहीं सोचता हूँ, मुझे जो अच्छा लगता है, मैं वो ही सोचता हूँ।