सामाजिक

समय का सदुपयोग

          समय न रुकता है न थकता है। बस हर पल चलता रहता है। समय के न पांव है न कोई पहिया है। फिर भी बड़ी रफ्तार से दौड़ता है। बहुत सारे लोग समय का सही उपयोग कर पाते हैं तो बहुत सारे नहीं भी।अक्सर लोग बस इसी सोच विचार में ही अपना समय खराब कर देते हैं। मैंने यह कार्य करना है या नहीं? मगर वे कभी नहीं विचार करते की जितना समय वो सोचने में निकल देते है। उतने में उस कार्य का सही समय भी निकल जाता है। और जब सही समय निकल जाता है तो सही मौका,सही इंसान और सही चीज भी हाथों से निकल जाती है।

               समय का सही प्रयोग सिर्फ किसी कार्य के लिए नहीं होता।समय का सदुपयोग रिश्तो के लिए भी होता है,इंसानों के लिए भी होता है और ईश्वर के लिए भी होता है। जिस प्रकार एक विद्यार्थी परीक्षा नजदीक आने पर भी। अपने कार्य के प्रति सजग न होकर। परीक्षा की तैयारी नहीं करता तो वह समय का सदुपयोग नहीं कर पाता और अंत में परीक्षा में उत्तीर्ण ही नहीं हो पाता।उसी प्रकार अगर हम सही समय पर रिश्तो की देखरेख और परख नही कर पाते तो अच्छे इंसान और अच्छे रिश्ते भी हमारे हाथों से निकल जाते हैं।
          आज के आधुनिक समय में माता-पिता अपने बच्चे के लिए समय निकालकर अच्छी शिक्षा और नैतिक गुणों को उसमें नहीं भर पाते तो। आगे चलकर वह कभी इस बात के लिए किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते कि उनका बच्चा गलत संगति में पड़ा हुआ है या नशे जैसी बुरी आदतों से जुड़ा हुआ है। उसके लिए समाज नहीं बच्चा नहीं सबसे पहले स्वयं उसके माता-पिता दोषी है कि उन्होंने समय का सदुपयोग न कर अपने बच्चे में उन गुणों को उजागर नहीं किया जिससे वह एक श्रेष्ठ सामाजिक प्राणी बन सके।
            अंत में मैं यही कहूंगा कि अगर हम समय का सदुपयोग कर पाते हैं तो हम एक श्रेष्ठ सामाजिक प्राणी बन पाएंगे क्योंकि जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है। वह हर कार्य को बड़ी श्रेष्ठता कर पाता है। हर रिश्ते के प्रति सजग हो पाता है और उनको निभा पाता है।
 — राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233