मुक्तक/दोहा

कोरोना दोहा एकादशी

कोरोना की मार से, होकर सब मजबूर
बैठे हैं बेकार हम, कामगार मज़दूर // 1. //

कोरोना के रोग ने, किया कुठाराघात
संकट पूरे विश्व में, चीन की खुराफ़ात // 2. //

कोरोना का वायरस, जीना हुआ हराम
आज सम्पूर्ण विश्व में, मच रहा कोहराम // 3. //

कोरोना ने कर दिया, मानव को बीमार
वीटो पॉवर देश भी, दिखते हैं लाचार // 4. //

कोरोना को कह रहे, सब यम का अवतार
पूरे जग में मच रहा, इससे हा-हाकार // 5. //

कोई करता आरती, कोई जय-जयकार
कोरोना के ताप से, मचती हा-हाकार // 6. //

कैसा अजब निमोनिया, मानव को निपटाय
कोरोना के ताप से, भूख विदा हो जाय // 7. //

कोरोना के नाम को, जप आठों याम
निश्चित दूरी कीजिये, बोलिये राम-राम // 8. //

बड़े देश तबाह हुए, चीन राष्ट्र की खोट
कोरोना के रूप में, अर्थतन्त्र को चोट // 9. //

जग व्यापी व्यापार से, मची अनोखी होड़
मानव निर्मित वायरस, अर्थ व्यवस्था तोड़ // 10. //

स्वास्थ्य संगठन कह रहा, चीन को पाक-साफ़
आने वाली पीढ़ियाँ, हरगिज करें न माफ़ // 11. //

— महावीर उत्तरांचली

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६