पत्नी की अफसरी
कटु पर है सत्य
नहीं किसी में जोर
आकर जो बोले
पत्नी से मेरी
मुझको बचाओ
मैं हूं मारा उसका
जब भी मैं बोलूं
करादे वो चुप मुझको
वोह बोलें
तुम हो नादान
अस्पष्ट शब्दों में
मतलब होता है उसका
तुम तो हो गधे
तुमको नहीं कुछ पता
जाके करो अपना काम
बड़े आए
मुझे सिखाने
अपनी अफसरी
घर के बाहर ही रखो
मैं हूं अफसर इस घर की
यहां चलेगी सिर्फ अफसरी मेरी