कविता

स्थायी या क्षणभंगुर

आने वालीं पीढ़ियाँ

हमेशा कुछ न कुछ

नया करती रहेंगी,

इसलिए यह सोचना

कि हमारे फलां महापुरुष ने

तो यह कहा था करने को

या वो कहा था करने को….

ये सारी बातें आपको

लकीर का फ़क़ीर बनाता है ।

अपने महापुरुषों से

सीख लेते हुए

समय के साथ

खुद को

परिवर्तित करते हुए

निरंतर

नए रास्तों की

तलाश कीजिए ।

यही सही तरीका होता है।

पूजा तो पूजा होती है,

फिर गरीब भारत में

‘पंडाल’ पर

करोड़ों खर्च क्यों?

वह भी

कुछ दिनों के बाद

फिर उजाड़!

जबकि

एक साल के

उन चंदों से

वहाँ स्थायी तौर पर

मन्दिर और छत हो जाते !

करोड़ों रुपये के

क्षणभंगुर ‘पंडाल’ को लेकर

कोई इसे स्पष्ट करेंगे!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.