भाई बहन का रिश्ता
राजू की मां आवाज लगती है सुन बेटा! राजू बोलता है, जी मां बोलिये क्या बात है, मां कहती ही कल रक्षा बन्धन का त्यौहार है, इस बार तेरी बहन पूजा राखी बाधने के लिए नही आ पा रही है, तुझे ही उसकी ससुराल जाना पड़ेगा | राजू मना करते हुए बोला मुझे नही जाना उसके घर पर वो मुझे डांट फटकार एवम पीठती थी | मुझे उसके घर नहीं जाना | मां ने कहा बेटा ऐसे नही बोलते है | वो तो तेरे भले के लिए डांटती होगी | तू तो जानता ही है, कि तेरे अलावा कोई और भाई है नही उसका तुझे तो जाना ही पड़ेगा | ठीक है मां तुम कहती हो तो कल मैं चला जाऊंगा | सुबह जल्दी तैयार होकर राजू अपनी मां के पास आया और बोला बताओ मां क्या ले जाना है दीदी के घर, मां ने पहले ही थैले में सेमरी,चावल,बूरा,मिठाई तथा अन्य सामान भी रख दिया | उस सामान को साइकिल पर बांध कर राजू घर से निकल जाता है | वह साइकिल से तीन घंटे का सफ़र तय करके 12 बजे तक अपनी दीदी के घर पहुंच जाता है |
राजू की दीदी का घर शहर के बड़े घरों में शामिल लग रहा था | घर में प्रवेश करते ही जीजा जी से भेट होती हैं, जाते ही राजू अपने जीजा जी को प्रणाम कहकर पैर छूकर पूछता है, दीदी कहा है , उन्होंने बताया उसने सुबह से व्रत रखा है, राखी बाधने की तैयारी में जुटी है, वो अभी किचिन में ही है | आप बैठो मैं बुलाता हूं, जीजा जी ने आवाज लगाई, पूजा तुम्हारे छोटे भैया आए है |आवाज सुनते ही वह दौड़ती हुई आती है| और राजू से पूछती है कैसा है, मेरे भाई घर पर माता पिता जी कैसे है | और अपने गांव में मेरी सहेली कौन सी सहेली आई है, राजू ने बताया कि लगभग तेरी सभी सहेली आईं हैं और वो सब तेरे बारे में पूछ रही थी | ये बात सुनकर पूजा अपने गांव जाने का मन करता है, काश आज मैं अपने गांव होती तो बचपन की सभी सहेलियों से ज़रूर भेट कर पाती, घर के हाल चाल पूछती रहोगी, कि चाय पानी भी दोगी, उसके जीजा जी ने कहा | जी बिल्कुल पहले राखी तो बांध लू | सुबह से व्रत है, राखी बाधकर ही कुछ खाऊंगी, तुरंत टीके की थाली लेकर आती है, उस थाली मैं रोरी, राखी, मिठाई, एवम खीर रखी हुई थी | राखी बाधने की तैयारी की गई | पूजा ने अपने पति से कहा कि राखी बाधते हुए हमारा फोटो खींच लेना जी उन्होंने कहा टीक है, उसने सबसे पहले तिलक किया तथा राखी बाधी और फोटो खिंचवाए, दीदी ने कहा कुछ देगा नही या फिर खाली हाथ ही राखी बधवायेगा | राजू ने एक 100 का नोट देकर पैर छूने लगा और पूजा ने आशीर्वाद के रुप में मजाक करते हुए राजू की पीठ को थपथपाने लगी, उसने कहा मैने आज तेरे लिए एस्पेशल खीर बनाई है|ये ले खा ले |राजू खीर लेकर खाने लगता है, और पूरी कटोरी की खीर खा जाता है ,वो कहती है थोड़ी और बची है अब मुझे खाने दे | लेकिन राजू उसके हाथ से पूरा खीर का टिफिन छीन लेता है, बोलता है खीर अच्छी बनी है मैं अपने घर ले जाऊंगा |
इतने में किचिन से नौकरानी मुन्नी आवाज लगती है, कहती है दीदी नमक कहा रखा हैं, नमक नही मिल रहा है | पूजा किचिन में जाकर पूछती है, क्यों बुला रही थी, मुन्नी बोली दीदी नमक चाइए, उसने कहा ये डिब्बे में पिसा हुआ रखा है ले ले, मुन्नी ने बताया मैने ये चेक कर लिया है, ये तो चीनी है | ये बात सुनकर पूजा दंग रह जाती है, और अपने मन में सोचती है, कि मैने खीर में नमक डाल दिया है, इसी लिए राजू मुझे और किसी को खीर को चखने नही दे रहा है | उसको लगता हैं, कि कही मेरे ससुराल वालों को पता चल गया तो मेरी दीदी पर डांट पड़ेगी | पूजा किचन से बाहर आती हैं और राजू को देख कर कहती है, पता है तू हमें खीर क्यों नही खाने दे रहा था | और वो अपने भाई के गले मिल कर आखों में आंसु भर लेती है | वास्तिविक में भाई बहन का रिश्ता अनोखा एवम् हर किसी का ऐसा ही होना चाहिए | जो एक दूसरे को समझ सकें, एवम संकट की घड़ी में काम आ सके | राजू राखी बांधवा कर घर के लिए निकल जाता है |
आखिर भाई बहन का रिश्ता निराला है……………..
— अवधेश कुमार निषाद मझवार