कविता

संघर्ष चुनना पड़ेगा

वो कठिन पथ सामने थे
जिन पर था चलना मुझे
हम भरे आशाओं से थे
जल मगन से हो चुके

कुछ बड़े संघर्ष करके
पा लिए थे लघु राह हम
उन लघु राहों में चलकर
अब कर रहे थे संघर्ष हम

जीवन में संघर्ष गाथा
है सदा आती उन्हीं के
जो निरंतर चल रहे हैं
बिन डरे तूफ़ाँ-आँधी से

हम नहीं हैं जीत सकते
संघर्ष के किस्सों से डरकर
हैं सदा जीते वही जो
आए हैं मुश्किलों से लड़कर

अब जीत गर पानी तुम्हें है
तो संघर्ष को चुनना पड़ेगा
हाँ डर गए संघर्ष से जो तुम
तो बिन नाम के मरना पड़ेगा

संघर्ष की लाखों हैं गाथा
एक आध को पढ़ना पड़ेगा
तुमने नहीं गाथा पढ़ी जो तो
निराशा में ही जीना पड़ेगा

यहाँ जीवन धरा पर जी रहे हो
निश्चित मौत से मिलना पड़ेगा
छोड़ना चाहते हो यश धरा पर
तो संघर्ष को ही चुनना पड़ेगा

— शिवम अन्तापुरिया

शिवम अन्तापुरिया

पूरा नाम शिवम अन्तापुरिया राम प्रसाद सिंह "आशा" उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के अन्तापुर में 07/07/1998 को जन्म हुआ एक काव्य संग्रह प्रकाशित "राहों हवाओं में मन" दूसरी किताब पर लेखन शुरू दुनियां के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में प्रकाशित मेरी रचना "समस्याओं ने घेरा" राष्ट्र गौरव सम्मान नई कलम सम्मान कवि सम्मेलनों में सम्मानित अमेरिका, कनाडा सहित देश के दैनिक जागरण,अमर उजाला से लेकर देश छोटे बड़े लगभग (रोज 4-5) प्रदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं "शिक्षा के शुरूआत से ही लेखन की ओर दिल झुकता गया" "सस्ती होती शोहरते गर इस जमाने में लोग लिए फ़िरते शोहरते हर घराने में" तेरे कदमों के आने के मेरे कदमों के जाने के बनें हैं पग जमीं पर जो निशां हैं वो मिटाने के....