कविता
लोगों की आंखों की किरकिरी है मेरी मुस्कान,
क्योंकि मैंने कभी न बनने दी अपने दर्द को अपनी पहचान।
किस्मत ने जो भी दिया उसे कर लिया कबूल,
न कोई चाहत थी और न कोई तमन्ना थी फिजूल।
इसीलिए मेरी जिंदगी बन गई लोगों के लिए एक पहेली,
किस्मत ने मेरे साथ खेली और मैंने उसके साथ खेली।
सुख – दुख को बना लिया अपना यार,
जीवन के उतार चढ़ाव से कर लिया प्यार।
ये सच है कि बहुत कुछ हमने नहीं पाया,
पर ये भी सच है कि बहुत कुछ नहीं खोया।
इज्जत प्रतिष्ठा की दौलत ने बनाया हमें धनवान,
यही दौलत तो इंसान को बनाता है एक दिन महान।
— मृदुल शरण