दोहा गीत
अपनी सजनी से हुए, मिलने को मजबूर ।
कहो पिया मैं क्या करूँ , तुम हो इतने दूर ।।
नथिया टीका बालियाँ, कंगन करधन हार ।
पायल बिछुआ आलता , हो गई मैं तैयार ।।
लाली अपने होठ पर , मेंहदी रच ली हाथ ।
और पिया के नाम की ,चुनर ओढी माथ ।।
रुप सजाके देख मैंं , बनी हुई हूँ हूर ।
कहो पिया मैं क्या करूँ, तुम हो इतने दूर ।।
करूँ प्रतीक्षा मैं यहाँ, भूले तुम उस पार ।
धूमिल होता रुप ये , ढ़लता साज शृगांर ।।
करे निहोरा आपसे, मेरे व्याकुल नैन ।
देखे बिन साजन हमें , आता कब है चैन ।।
ऊपर से मौसम यहाँ , जुल्म करे भरपूर ।
कहो पिया मैं क्या करूँ , तुम हो इतने दूर ।।
अबकी सावन ढ़ल गया, प्रियतम ये लो जान।
आऊँगी मैं फिर नहीं, लाख पकड़ लो कान ।।
जाके तुम परदेश में , भूले मेरा प्यार ।
ये मनमानी आपकी , नही मुझको स्वीकार ।।
अपने मन की ही करो, रहो नशे में चूर ।
कहो पिया मैं क्या करुँ, तुम हो इतने दूर ।।
— साधना सिंह