विविधहास्य व्यंग्य

नाम परिवर्तन

नाम परिवर्तन

“देखिए देवी जी, मैं आपका पति नहीं हूँ न ही आप मेरी पत्नी हैं। बेवजह क्यों मेरे पीछे पड़ी हैं।”
“देखो, आज मैं मजाक के मूड में बिलकुल भी नहीं हूँ। पहले ही कहे देती हूँ।”
“तो मैं कौन-सा मजाक के मूड में हूँ। काहे मेरे गले पड़ रही है। जाओ अपने रास्ते। मुझे बख्श दो।”
“देखो, बहुत हो गया तुम्हारा ये नाटक। यहाँ पर हमें आते-जाते लोग भी देख रहे हैं।”
“वही तो, संभल जाओ तुम भी और चुपचाप फुट लो यहाँ से।”
“तुम्हें हो क्या गया है। कहीं आज तुमने फिर से शराब तो नहीं पी ली है ?”
“बिलकुल नहीं। हमारे खानदान में आज तक किसी ने शराब को छुआ तक नहीं।”
“हा…हा… हा… बातें तो ऐसी कर रहे हो, जैसे कि मैं कुछ जानती ही नहीं। अरे नासपीटे भूल गये, तुम्हारे पिताजी को रोज पड़ोस के दो आदमी सहारा देकर घर में छोड़ देते थे। और तुम…”
“देखो, अब इन सब पुरानी बातों को याद करने का कोई लाभ नहीं है। फिर भी तुम्हें बता देना चाहता हूँ कि हमारे खानदान के लोग शराब को छूते तक नहीं। हाँ, गम भुलाने के लिए हफ्ते में पाँच-सात दिन यदि पीते भी हैं, तो डायरेक्ट बोतल को मुँह से लगा लेते हैं। पर मैं ये सब तुम्हें क्यों बता रहा हूँ। होती कौन हो तुम ?”
“घर चलो, तुम्हें बताती हूँ कि मैं हूँ कौन ?”
“किसके घर ? और क्या बताओगी तुम ?”
अब तक इनकी बातचीत सुनकर राह चलते कुछ लोग भी इकट्ठे हो गए थे। उनकी जिज्ञासा भी बढ़ती जा रही थी। किसी ने पूछ ही लिया, “क्या बात है ? आप लोग यूँ बीच सड़क पर क्यों बहस कर रहे हैं ? दिखने में तो भले घर के लगते हो ।”
वह बोला, “देखिए भाई साहब, ये औरत जबरदस्ती मुझे अपना पति साबित करने पर तूली हुई है ? जबकि मैं इनका पति हूँ ही नहीं ।”
“क्या ? जबरदस्ती पति साबित करने पर तूली है ?” लोगों को आश्चर्य हो रहा रहा था.
“हाँ… और नहीं तो क्या ? इसी बात पर तो आधे घंटे से ये मगजमारी कर रही है। पूछिए जरा इनसे कि इनके पति का नाम क्या है ?”
वह पूछता, उससे पहले ही वह बोल पड़ी, “रामलाल से मेरी शादी हुई है, जो यही हैं। मेरे पास मैरिज सर्टिफ़िकेट भी है शादी का। ये देखिए, उसकी कॉपी।”
“देखा भाई साहब, मैं बोल रहा था न कि ये मेरी पत्नी नहीं है। ये देखिए मेरा सर्टिफ़िकेट। मैंने अपना नाम बदलकर बद्रीनाथ कर लिया है। अब जबकि मैं रामलाल नहीं रहा, तो ये भला मेरी पत्नी कैसे हो सकती है ?”
“हाँ बहिन जी, सर्टिफ़िकेट के हिसाब से तो ये रामलाल नहीं, बद्रीनाथ हैं। जाइए, आप अपने घर जाइए। जाइए भाई साहब आप भी अपने घर चले जाइए।”
तभी अलार्म बजा, मैं हड़बड़ाकर नीचे गिरने ही वाला था कि श्रीमती जी ने खींच कर अपनी बाहों में थाम लिया।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888