राष्ट्र के नाम छंद
सिंह जैसे जो दहाड़े, देश का अभिमान हो।
सूर्य जैसी चमक राखे , हिंद पर बलिदान हो।
शत्रुता ना हो किसी से, प्यार हो सम्मान हो।
वीर पर मां भारती को, पुत्र सा अभिमान हो।
पूजता है विश्व पूरा, अब हमें गुरु रूप में।
शक्तियां सारी निहित हैं ,अब यहां के भूप में।
देश आगे बढ़ रहा है, हर घड़ी हर पल यहां।
वीर पुरुषों की क़यादत, का मिला है फल यहां।
हम विरासत के धनी हैं, धन्य है मां भारती।
धर्म सब सम मानते हैं, एक करते आरती।
कुछ सियासी लोग हैं जो, बांटते इंसान को।
हम समझ पाते नहीं हैं, लालची हैवान को।
धर्म पर सब लड़ रहे हैं, धर्म को माना नहीं।
हर लड़ाई के नतीजे , को कभी जाना नहीं।
बाद में पछता रहे हैं, सोचते ये क्या हुआ।
देख लेते काश पहले, दंभ का गहरा कुआ।
हिंद को बुलंद करे वह, बात होनी चाहिए।
भारती की आरती दिन, रात होनी चाहिए।
गोद में आमोद करें वो, मात गंगा चाहिए।
चंद्रमा के बाद सूरज, पर तिरंगा चाहिए।
— प्रदीप शर्मा,आगरा