खोज
खोजता नहीं हूँ
तुमको इस विराट तत्व में
मिल जाते हो तुम
मुझे मेरे हृदय सत्ता में।
असीम अनंत ज्ञान है
नहीं कहीं बाहर
ढूंढने पर मिल जाता है
मन मस्तक की सत्ता में।
मिलता नहीं कभी
ध्यान और अनंत ज्ञान
जंगलों में भटकने से
वो तो मिल जाता है
मन की मौन सत्ता में।
— राजीव डोगरा