कविता

कहाँ खो गई गोधूलि बेला

शाम को उड़ती धूल में
देखता आकाश की लालिमा
सूरज की धुँधली छवि
सूरज लेता शाम को सबसे अलविदा
गाय के गले में बंधी घंटी
सूरज की करती हो शाम की आरती
गोधूलि की धूल बन जाती गुलाल
धरा से आकाश को कर देती गुलाबी
नित्य ये पूजन चला करता
वर्षा ऋतु में धूल और सूरज छिप जाते
देव कर जाते शयन
ये गाँव की कहानी
शहरों में धूल कहाँ और सूरज भी कहाँ
सीमेंट की ऊंची बिल्डिंग
सड़के डामर की
कहाँ गाय के गले मे आरती की घँटी
गोधूलि का महत्व गाँव मे होता
शहरों में तो काऊ महज पढ़ाया जाता
गाँव प्रकृति से सजा इसलिए तो सुंदर है
सोचता हूँ
गाँव जाकर प्रकृति को पुनः पहचानू।

— संजय वर्मा ‘दृष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच