लघुकथा

कृतज्ञता के आंसू

बहुत इंतजार के बाद मां दुर्गे के पावन पर्व नवरात्रि उत्सव का आगमन हुआ. भक्ति भाव से सराबोर इस त्योहार के कीर्तन-जगरातों में लच्छी दादी शक्ति और उल्लस का पर्याय बन गई थी. सरपंच जी के घर जगराते की तैयारी हो गई थी, पर जोत जलाने के लिए 87 वर्षीय दादी को ढूंढा जा रहा था.
भक्ति भाव से मां अम्बे की पूजा आराधना के साथ दादी खुद को स्वस्थ रखने के सारे जतन करती थी. आज भी जगराते के लिए पैदल ही निकली थी. उम्र का तकाजा देखिए, रास्ता ही भूल गई. उसको परेशान देखकर एक महिला पुलिस ने उसे जगराते में पहुंचा दिया. लच्छी दादी को लगा कि महिला पुलिस के रूप में मां अम्बे खुद उसको जगराते में पहुंचा गई थी. मंत्रोच्चारण के साथ लच्छी दादी ने जोत जलाई और जगराते का आगाज़ हो गया. दादी की आंखों में मां के प्रति कृतज्ञता के आंसू थे.

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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