कविता

गतिमान चित्र है जीवन

कई चित्र मानस पटल पर
गतिमान होती हैं निरंतर
जाल है वह रंग – बिरंगे का
उत्सुक, उद्वेलित करती हैं
संकल्प – विकल्पों के बीच
आशा – निराशाओं के आगार
उलझनों से मुक्त आकाश हो जहां
स्मृतियों के आवरण में अनुभव
मनुष्य के लिए एक दिशा है
कभी उतार है तो कभी चढ़ाव
अनुभव एक संचयन है, एक सार है
निर्णय का आधार बनता है वह
कलाकार के हाथों में ये चित्र
रूप बनती हैं, दिशा देती हैं
आसान नहीं है सबको चित्र उतारना
एक रूप देकर जीवनदान देना
जो चित्रों में वास करना जानता है
कला की उपासना उसी में होती है
रंगों में सींचकर रूप देता है वह
कविता, कहानी, लेख, तस्वीर
चलती हैं, हिलाती हैं, रूलाती हैं,
देती हैं शक्ति जन – जन को
अपने जीवन में कदम लेने का।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।