बाल दिवस
आया बाल दिवस बन ठन के,
बच्चे भोले भाले सच्चे मन के,
बचपन से करें फिर मुलाकात,
चाचा नेहरू को करें हम याद ।
स्कूल में मनाते धूम धाम से उत्सव,
प्रतियोगिताएं, खेल कूद महोत्सव,
ज्ञान के साथ-साथ थोड़ी मस्ती,
ख़ुशी ये चेहरे पर खूब झलकती ।
लगाए खाने-पीने के बहुरंगी स्टॉल,
रोचक खेलो संग हो धमाका धमाल,
गुरुजनों का प्राप्त कर आशीर्वाद,
बूंदी के लड्डुओं का लेवे स्वाद ।
आया हमारा दिन खुशियां छाई,
रौनक स्कूल में हमसे ही तो आई,
उत्साह, जोश, बुद्धिमता का संगम,
कितना सुंदर दिखता “आनंद” जंगम ।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सेदारी,
अपनी चकाचक होती हरदम तैयारी,
शोर मचाते, गाते, हंसते खिलखिलाते,
एक दिन की पूरी बिंदास मौज मनाते ।
— मोनिका डागा “आनंद”