बाल कविता

बाल दिवस

आया बाल दिवस बन ठन के,
बच्चे भोले भाले सच्चे मन के,
बचपन से करें फिर मुलाकात,
चाचा नेहरू को करें हम याद ।

स्कूल में मनाते धूम धाम से उत्सव,
प्रतियोगिताएं, खेल कूद महोत्सव,
ज्ञान के साथ-साथ थोड़ी मस्ती,
ख़ुशी ये चेहरे पर खूब झलकती ।

लगाए खाने-पीने के बहुरंगी स्टॉल,
रोचक खेलो संग हो धमाका धमाल,
गुरुजनों का प्राप्त कर आशीर्वाद,
बूंदी के लड्डुओं का लेवे स्वाद ।

आया हमारा दिन खुशियां छाई,
रौनक स्कूल में हमसे ही तो आई,
उत्साह, जोश, बुद्धिमता का संगम,
कितना सुंदर दिखता “आनंद” जंगम ।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सेदारी,
अपनी चकाचक होती हरदम तैयारी,
शोर मचाते, गाते, हंसते खिलखिलाते,
एक दिन की पूरी बिंदास मौज मनाते ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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