गीतिका/ग़ज़ल

मेरी बिंदिया मेरी निंदिया सब होती है हिन्दी में

मुंडन,सोहर,शादी,ब्याह,सब करें हम हिंदी में
द्वार छिकाई काजल कराई वो भी होती हिंदी में
माड़ो में ज़ब आये बाराती तो गाली भी हिंदी में
सिंदूर दान, द्वार छिकाई और विदाई भी हिन्दी में।

चुगली चाची अपनी बातें चुगली करती हिंदी में,
चुगली करने से तृप्त होता उनका मन भी हिंदी में,
चुगली चाहे लाख करो पर इतना सब रखना ध्यान
गरिमा का खंडन न करना, गले भी मिलना हिंदी में

कहीं सोहर कभी गाती,कहीं परिछन करे हिन्दी।
कभी मतकोड़ है गाती,कही काजल करे हिंदी.
हमारी निहित संस्कारें ,समाहित सभ्यता इसमें
कभी माँ की लुगा के सम,सदा शीतल करे हिंदी।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

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