बाल कविता

प्यारा बचपन

प्यारा बचपन, न्यारा बचपन,

इतराता, बलखाता बचपन,

नटखट, शरारती बचपन,

भोला-भाला मासूम  बचपन।।

दादा-दादी के हम दुलारे,

नाना-नानी की आँख के तारे,

सखा, सहपाठी प्रिय साथी,

मिल-जुल नये स्वप्न सजाते।।

चाट पकौडी चट कर जाते,

मिठाई भर-भर हम खाते,

खीर पुरी हैं हमें भाती,

रसगुल्ला या रसमलाई।।

कुल्फी वाले काका पुकारते,

दोना या पत्तल भी संग लाते,

ठंडा-ठंडा मीठा एहसास, 

बचपन के दिन सबरंग उल्लास।।

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*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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