गीतिका/ग़ज़ल

मैंने किया था …

 

मैंने किया था तुम्हें फोन मगर तुमने सुना नहीं
अपने ख्यालों में मुझे तुमने आज बुना नहीं

तुझे भेजा था जो खत वो उदास हो लौट आया है
मेरे मन की तरह किसी का मन आज सूना नहीं

उल्फ़त में तुमने अजीब सी एक शर्त रखी है
देखना जीभर मगर कहा कभी मुझे छूना नहीं

रोज रोज एक तारे सा टूट्कर मैं गिरता रहा हूँ
तेरे मन के आकाश में मेरे लिए कोई कोना नहीं

न जाने क्यों तुम मुझे देखकर मुस्कुराते रहे हो
मुझे मालूम न था निगाहों में मैं तेरी खिलौना नहीं

मेरी जिंदगी की नदी तेरी ओर ही बहती रहेगी
मैं जानता हूँ तुझसे पर कभी संगम होना नहीं

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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