कविता : अजनबी
जो कभी कसमें खाया करता था मेरे नाम की आज, अजनबीयत का गिलाफ ओढ़े… मिला था मुझको ! ! जिसे
Read Moreजो कभी कसमें खाया करता था मेरे नाम की आज, अजनबीयत का गिलाफ ओढ़े… मिला था मुझको ! ! जिसे
Read Moreवक़्त का फेर वक़्त है ढल चुका और ढल चुका वो दौर भी…. फ़िर भी आइने में, वक़्त पुराना ढूंढते
Read Moreमेरी दोस्त प्रीति को समर्पित ********************** कुछ कही कुछ अनकही कुछ जानी कुछ बेगानी कुछ यादें कुछ फरियादें बिन बोले
Read Moreगलियों में भटके चारे को, कूड़ा – कचरा सब खाए ! माँ की तरह पाले सबको, है गौ माता कहलाए
Read Moreजो बोली जाती है … भारत में मेरे कहलाए वो ‘हिन्दी’… पिछड़ों की भाषा ! आज सीख रहे हैं …
Read Moreइक बगिया में खिले दो फूल ! “बेटा” वारिस “बेटी” पराई कहलाए आखिर क्यों ?? जन्म ले बेटा खुशियाँ मने
Read Moreसुनो न कभी तुम भी **************** सुनो न कभी तुम भी खामोशियों को मेरी ! खामोश रह कर भी ये
Read Moreअधूरे से ख्वाब धुँधली तस्वीरें ग़म से भरीं…क्यों ये तकदीरें !! जब राहें जुदा क्यों प्यार हुआ बतला दे तू…ऐ
Read Moreमन के कोरे कागज़ पर लिख दो न अपना नाम पिया ! कैसे बोलूं दिल की बातें तरसे है तुम
Read Moreथमता नहीं है जिन्दगी में, ख्वाहिशों का सिलसिला ! अब तलक है जो मिला… सब कुछ अधूरा ही मिला !!
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