गीत : ऐसा छंद लिखें हम
खोलें दिल के दरवाजे कर आँखें बंद लिखें हम. समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम. नभ
Read Moreखोलें दिल के दरवाजे कर आँखें बंद लिखें हम. समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम. नभ
Read Moreकितनी बातें कहनी थीं पर हम कितनी कह पाए. हमसे पूछो-तुम बिन पल भर क्या तनहा रह पाए. तुम जो
Read Moreइक-दूजे से प्यार करें हम, किसको ज्यादा प्यार बताओ ? कहो इश्क़ के थर्मामीटर, किसको अधिक बुखार बताओ ? खुद
Read Moreजाने क्यूँ लगता मुझसे तू छूट रहा है. और कहीं कुछ धीरे-धीरे टूट रहा है. खुशियों के दो पल जो
Read Moreसीता हूँ मैं राम तुम्हीं हो मीरा मैं घनश्याम तुम्हीं हो. कोई पूछे,यही कहूँगी-मेरे चारों धाम तुम्हीं हो. जग में
Read Moreख़्वाहिश-जज्बा-सब्र-सुकूँ-चाहत बन बैठा वो. जाने कैसे कब मेरी आदत बन बैठा वो. जिसको बिन खोले ही मैंने पूरा पढ़ डाला,
Read Moreमुझको यह निर्जीव बहुत आदम-सा लगता है. आय-फ़ोन ये मेरा बिलकुल तुम-सा लगता है. ये आसाँ है इतना, समझे बच्चा-बच्चा
Read Moreतुमने भी तो यार हमारी नींद उड़ाई है. हम भी तुमको तडपायें तो कौन बुराई है. जितना डूबोगे उतना ही
Read Moreबिन सोचे हम कई काम बेहोशी में कर जाते हैं. खुद-से-बेखुद पागल हम गीतों को लिखते-गाते हैं. जितनी बार सब्जियाँ
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