कविता
आम ये आम पीले-पीलेहोते हैं बड़े रसीलेकोयल को ये भातेबच्चों को ललचातेग्रीष्म ऋतू में पकतेअमराई निखर जाते। केले ये प्यारे
Read Moreआज मंदिर के अंदर गर्भगृह में चारो ओर सन्नाटा था।पूर्व दिवस की अपेक्षा आज कुछ ज्यादा ही सन्नाटा नजर आ
Read Moreमौसम है गर्मी का लू-तपन, ने कहर ढाया हैजीव-जगत त्रस्त है,यह मंजर कैसा आया है। पेड़-पौधे झूलस रहें है,वन-उपवन थर्राया
Read Moreसत्य-सनातन धर्म स्थली,अपना ये हिन्दुस्तान हैविश्व गुरु और धर्म गुरु का ये, मेरा देश महान है।वेद,गीता,उपनिषद का,होता जहाँ अमृत ज्ञान
Read Moreराम नवमी भारतीय हिंदुओं का प्रमुख पर्व है।जिसको भारतीय समाज श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं।यह आस्था और विश्वास
Read Moreग्रीष्म ऋतू, अब आई है,भीषण गर्मी, ये लायी है।सूर्य हुआ है, लाल-लाललोग हो रहे, हाल-बेहाल।जल रहा जमीं आसमान।हो रहे हैं,
Read Moreबूँद-बूँद पानी को सहेजेंयह पानी बहुत कीमती है।जल है, तो कल है,यही सत्य और अटल है।इस बात को करें गौरनही
Read Moreहम जलाएँ किसकी होली?लकड़ियों की ? कंडों की?या फिर हरे-भरे पेड़ों की याउन हरे भरे-पेड़ों मे लहरातेझूमते छोटे-छोटे टहनीयों की?यह
Read Moreनारी तुम प्रेरणा होमेरा विस्वास हो,तुम ही मेरे जीवन का आस हो।तुम निधि हो,निर्धारण होतुम मेरे भूतकाल हो।और तुम्ही वर्तमान
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