ग़ज़ल
बिन वजह मुखड़े से मुखड़ा मोड़ कर। आदमी टूटे है रिश्ते तोड़ कर। प्यार को फिर जोड़ने में हर्ज क्या,
Read Moreमा जन्नत की परिभाषा। माँ पीढी की अभिलाषा। माँ मन्दिर में जैसे ज्योति। माँ समता से भरी गोदी।
Read Moreउर्वर भूमि के मालिक उद्यमी कृषक सुन। नींव के सृजक प्रभाकर श्रमिक सुन। तेरे खून पसीनें में तो सूरज है।
Read Moreदो परम मित्र थे। एक का नाम कर्ण तथा दूसरे का नाम सुकरात। वे एक ही स्कूल तथा एक ही
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