गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 07/05/202407/05/2024 ग़ज़ल घर-घर बीच बिमारियां आ गई हैं पंजाब में। सुलग रही चिंगारियां आ गई हैं पंजाब में। हर गुलशन में फूल Read More
बाल कविता बलविन्दर ‘बालम’ 06/05/202406/05/2024 बस्ती रंगों की भव्य घटा है छाई। बस्ती का त्योहार है भाई। ढोलक, ढोल, मंजीरे, पायल। फाग फ़बीला दिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 18/04/202418/04/2024 ग़ज़ल सूखते तिनके बचाओ पक्षियो।घोंसले में लौट आओ पक्षियोे।जो हुनर रब्ब ने तुझे बख्शा है,ख़ूबसूरत घर बनाओ पक्षियो,नहर के नज़दीक सुन्दर Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 18/04/202418/04/2024 ग़ज़ल पार किनारे जा कर रिश्ते छूटे हैं।अम्बर भीतर चढ़ कर तारे टूटे हैं।ले लो हम से प्यार मुहोब्वत के गुलशन,फूल Read More
बाल कविता बलविन्दर ‘बालम’ 09/04/202409/04/2024 जीबन का आधार है बस्ता उच्च शिक्षा का रस्ता है यह। देखो तो लगता सस्ता है यह। बच्चों का किरदार है बस्ता। जीवन का आधार Read More
हाइकु/सेदोका बलविन्दर ‘बालम’ 08/04/202408/04/2024 पद-टप्पे 1 पोता राजा अम्बर का, सुन लो जग वालो, पोती दीपक मन्दिर का। 2 सूरज जब आएगा, घर के आंगन Read More
गीत/नवगीत बलविन्दर ‘बालम’ 15/03/202415/03/2024 गीत प्रतिभा-प्रतिष्ठा में प्राण। जाग उठा है हिन्दुस्तान। ममता क्षमता समता प्रबल। जैसे बहता निर्झर निर्मल। स्वतंत्र-गणतंत्र की Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 08/03/202408/03/2024 गीतिका सौंदर्य का प्रभुत्व प्यारा। जग से न्यारा देश हमारा। अभिवादन करता अरूणोदय। दरिया पर्वतों में ज्ञानोदय। धरती नो अतिरूप सँवारा। Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 08/03/202408/03/2024 ग़ज़ल बिन वजह मुखड़े से मुखड़ा मोड़ कर। आदमी टूटे है रिश्ते तोड़ कर। प्यार को फिर जोड़ने में हर्ज क्या, Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 08/03/202408/03/2024 गीतिका जैसे फूलों वाली क्यारी। हिन्दू नारी सबसे न्यारी। सृष्टि सृजन सरस्वती है, वैष्णवी रौद्री माहेश्वरी है। प्राण प्रिय और दर्शनकारी। Read More