बेटी
सुबह सुबह अय्यर साहब समाचारपत्र को घोंट रहे थे, तभी पीछे से दो कोमल सी गुलाब की पंखुड़ियों जैसे स्पर्श
Read Moreचालीस वर्ष पुरानी सखी कुसुम का अचानक एक जीमेल आया, पहले तो रानी पहचान ही नही सकी, फिर दिमाग पर
Read Moreएकांत के क्षणों में गुफ्तगू हो गयी, इक जाते हुए राही ने दास्तान सुना दी ! माना कि आज मैं
Read Moreकॉलेज में एडमिशन हुआ, कुछ सहेलियों के साथ रोज ही जाने लगी। मैथ्स मेरा सब्जेक्ट था। घर मे पापा बहुत
Read Moreछोटे से अक्षय का जन्मदिन था। रवीना ने पूरे सोसाइटी के बच्चो को और अपनी कुछ सखियों को भी निमंत्रित
Read Moreआज रवीना को टहलने में अंधेरा हो गया था। पर आदत से मजबूर वह आगे बढ़ती गयी। चारो ओर बरसो
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