रीझ गया है कोकिल का मन[ गीत ]
रीझ गया है कोकिल का मन।देख लिया कुसुमाकर – दर्पन।। कुहू – कुहू की टेर लगाती।विरहिन के उर पीर जगाती।।बहती
Read Moreरीझ गया है कोकिल का मन।देख लिया कुसुमाकर – दर्पन।। कुहू – कुहू की टेर लगाती।विरहिन के उर पीर जगाती।।बहती
Read Moreबंदर जैसे स्वाद, अदरक का जाने नहीं।ज्ञान न उसको नाद , जो बहरा है कान से।।रखे घूमता नित्य, ज्ञान –
Read Moreढपोरशंख की खोज बहुत पहले हो गई थी। इसलिए आज उसके इतिहास में जाने की आवश्यकता नहीं है।इतना अवश्य है
Read Moreपीली – पीली सरसों फूलीनाच रहे हैं खेत। फूल बसंती महक रहे हैंलगा रही पिक टेर।कब आओगे मोहन प्यारेकरो न
Read Moreसुदृढ़ता का नाम किला है।जगती पर वह हमें मिला है।। कभी मोम – सी कोमलता भी,तूफानों में नहीं हिला है।
Read Moreछाछ बिलोती मेरी अम्मा।करे मथानी धम्मक – धम्मा।। सूरज ने निज आँखें खोली।कुक्कड़ कूँ की सुनते बोली।।गूँज उठी ध्वनि रुनझुन
Read Moreनर-नारी सुख दुःखमय,विविध रूप संसार।राम सदा रक्षा करें, बरसे प्रेम अपार।। पुरी अयोध्या धाम में,बरसे भक्ति – पीयूष,सरयू की कल-कल
Read Moreभक्त के उर में रहते रामझाँक ले हृदय-भीतर। सोना चाँदी में यदि होतेपाते धनिक अमीर।कथरी ओढ़े पा लेते हैंउनको संत
Read Moreआज 31 दिसंबर है, ईसवी वर्ष 2023 का अंतिम दिन। देखा जाए तो जीवन का प्रत्येक दिन महत्त्व पूर्ण होता
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