घर में बड़े बुजुर्ग ज़रूरी है क्योंकि ये भगवान हैं कुछ बुजुर्गों की अजीब कहानी है हमने अपने जीवन में सुख चैन रूपी बहुत कुछ कमाया है क्योंकि हमारे ऊपर बुजुर्गों का साया है घर में बुजुर्गों जरूरी है क्योंकि ये भगवान हैं कुछ बुजुर्गों की अजीब कहानी है ना खाने को रोटी आंखों में […]
Author: किशन भावनानी
मानव जीवन को दुष्परिणामों से बचाना है
वैश्विक मंचों पर सहभागिता और सक्रियता से जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का हल उपाय साझा कर मिलकर निकालना है मानव जीवन को दुष्परिणामों से बचाना है भारत पर्यावरण चुनौतियों से निपटने 1972 से यूएनईपी के साथ जुड़ा हुआ है यह पर्यावरण पर अग्रणी वैश्विक आवाजों में से महत्वपूर्ण आवाज है यूएनईपी पर्यावरण देखभाल में भागीदारी […]
नीली अर्थव्यवस्था – अवसरों का एक महासागर
वैश्विक स्तरपर भारत विकास के क्षेत्रों में खलबली मच आते हुए, तात्कालिक तीव्रता से अपने विकास के लक्ष्यों की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर चुका है।हालांकि इसकी गति को पिछले दो साल की भयंकर कोरोना महामारी की त्रासदी ने कुछ हद तक नुकसान पहुंचाया और विकास को दो साल पीछे कर दिया पर हम जांबांज़ […]
भारतीय संस्कार
भारतीय संस्कार हमारे अनमोल मोती है प्रतितिदिन मातापिता के पावन चरणस्पर्श से शुरुआत होती है अनेकता में एकता हमारी शैली है प्राकृतिक संपदा से भरपूर हरियाली है उसके बाद वंदन कर गुरु को नमन करते हैं बड़ों की सेवा में हम भारतीय हमेशा स्वतः संज्ञान सेआगे रहते हैं श्रावण कुमार गुरु गोविंद सिंह महाराणा प्रताप […]
दुनियां की सर्वोत्तम शक्तिशाली दवा ख़ुशी
वैश्विक स्तरपर ऐसा कोई मानवीय जीव नहीं होगा जो ख़ुश रहना ना चाहता हो, बल्कि आज के डिजिटल युग में खुशियां पाने की होड़ सी लग गई है। मेरा मानना है कि आज ख़ुशी पाने के लिए मानवीय जीव हद से बेहद तक कोई भी कार्य करने के लिए तत्पर रहता है, इसके लिए चाहे […]
बुद्धिमान बनाम मूर्ख
वैश्विक स्तरपर मानवीय बौद्धिक क्षमता का विकास ख़ुद मानव बहुत तेजी से करता जा रहा है जिसके बलपर मानव चांद तक पहुंच गया है। उससे बढ़कर अब वहां मानवीय रहवासी कॉलोनी बनाने की ओर अग्रसर है। वाह रे! मानवीय बुद्धि का कमाल! परंतु यही मानवीय जीव इस धरापर कई ऐसे काम करता है जिससे समाज […]
ज़लनखोरी
मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है उसको बहुत सफ़लता मिलती है तो उसपर मां लक्ष्मी की कृपा होती है तो समाज में उसका मान सम्मान बढ़ता है तो मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है उसका आर्टिकल कविता बहुत पेपरों में छपते हैं तो व्हाट्सएप फेसबुक में उसकी तारीफ़ होती है तो उसकी पोस्ट को बहुत लाइक मिलती […]
हे परवरदिगार मेरे मालिक
मैंने कहा गुनहगार हूं मैं उसने कहा बक्ष दूंगा मैंने कहा परेशान हूं मैं उसने कहा संभाल लूंगा मैंने कहा अकेला हूं मैं उसने कहा साथ हूं मैं मैंने कहा उदास हूं मैं उसने कहा हर वक्त तेरे पास हूं मैंने कहा हरदम सुखी रहूं मैं उसने कहा अच्छे कर्म कर साथ हूं मैं मैंने […]
बढ़ती उम्र का तकाज़ा – बचपन से पचपन
कुदरत द्वारा बनाई इस अनमोल सृष्टि में मानवीय जीवन की रफ्तार इतनी तेज़ हो गई है कि सुबह से शाम तो क्या बचपन से पचपन तक कैसे पहुंच गए पता ही नहीं चलता, वर्तमान परिपेक्ष में बढ़ती जीवन चक्र की प्रक्रिया में संघर्षों, खुशियों, दुखों, रोजी-रोटी, घर परिवार, सांसारिक मोह माया इत्यादि अनेकक्रियाओं के चक्कर […]
ये कैसी आध्यात्मिक सेवा ?
वैश्विक स्तरपर हजारों वर्षों पूर्व से ही भारतीय आध्यात्मिकता रही है, जिसका कोई अंत नहीं है, यानें मेरा मानना है कि शायद जबसे सृष्टि की रचना हुई है तबसे भारतीय भूमि पर आध्यात्मिकता को महत्व दिया जाता रहा है, क्योंकि पूर्व से पुर्वंनतर वाले इतिहास भी भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता का जिक्र जरूर होगा। इसलिए […]