कविता : जयचंदों की संख्या बढ़ने लगी
जयचंदों की संख्या बढ़ने लगी, बरदाई का आना बाकी है। इन जयचंदो को जड़ से उखाड़ना पछाड़ना बाकी है।। गांधी
Read Moreजयचंदों की संख्या बढ़ने लगी, बरदाई का आना बाकी है। इन जयचंदो को जड़ से उखाड़ना पछाड़ना बाकी है।। गांधी
Read More70 वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस दिनांक १५ अगस्त २०१६ दिन सोमवार को काव्या साहित्यिक समूह की ओर से एक स्वाधीनता
Read Moreकुछ घंटे की खुशी।पुरुष की समानता, धार्मिक स्थल पर प्रवेश के केस जीतने की। भरभरा कर ढह गयी। सामने एक
Read Moreअप्प दीपो भव तो… क्या… मात्र अपनी आत्मा से संवाद करें उसे ही सहज, सरल है.. याद दिलाएं? अपना दीपक
Read Moreलाल आंखें बिखरे बाल काले कपड़े कातर आवाज दारुण विलाप पत्थर से बहे पानी व्यथा यूं बखानी दर्द…दुःख…गम दम बेदम
Read More