हो गया ना महिलादिवस ( एक व्यंग )
चलो महिला दिवस ख़त्म हो गया बधाइयों का सिलसिला भी ख़त्म हुआ अब किसी को कोई परेशानी नहीं होगी न
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Read Moreअधूरा प्यार…. श्रुति बहुत ही खुशमिजाज लड़की थी, हर पल को बखूबी जीने वाली, इस तरह मानो कल आएगा ही
Read Moreपढ़-पढ़ पोथी गुणीजन कहला रहें हैं विद्वान् । प्रेम को न समझ सके तो काहे कहला रहे हैं महान।। पढ़-पढ़
Read Moreबारिश की बूंदे मोती सी चमक रही हरे-हरे पतों पर कली-कली खिल रही सब कुछ धुला-धुला सा धीमी-धीमी सी पवन
Read Moreऐ दिल सीख ले ज़माने में हालात के हिसाब से ढलना कि तेरे शौक और फरमाइशें मेरे तो बस के
Read Moreदौड़ रहा है वक्त और हम हम भी तो दौड़ रहे हैं बेहताश होकर कदम ताल मिलाने को कहीं
Read Moreभोली-भाली सी मासूम कली लाड-प्यार और नाजों से पली दुनियादारी की न थी उसे समझ बेखौफ उड़ने की ख्वाहिश में
Read Moreहर आहट बहना चौंक जाए भैया न आए राखी में पिरो ढ़ेर शुभकामना भेजी विदेश बहना दूर बाट
Read Moreतुम्हारा मौन सालता है बहुत शब्द न सही आँखों से बोल मौन की ये भाषा मुश्किल नहीं यूँ तो पढ़ना
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