सुख-दुःख दोनों में समभाव (समताभाव) रखें
जीवन में सुख-दुःख का चक्र तो प्रायः चलता ही रहता है, यह कोई बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण बात नहीं है। महत्त्वपूर्ण
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Read Moreआज का दौर स्पार्ट फोन का है, जिसमें बच्चों के मनोरंजन के लिए न जाने कितने ही खेल होते हैं,
Read Moreप्रत्येक वस्तु के स्वयं का अपना एक अलग ही महत्त्व होता है। लेकिन उसका महत्त्व प्रायः स्थाई एवं उत्तम नहीं
Read Moreविचार व्यक्ति के आन्तरिक व्यक्तित्व का सूचक है। विचार तो सिर्फ हवा के झौंके का कार्य करता है। यदि कहीं
Read Moreजीवन में आज संस्कार, सहनषीलता व आत्मीयता इन सभी आत्मगुणों में निरन्तर कमी आ रही है। व्यक्ति अन्दर-ही-अन्दर से टूट
Read Moreज्ञान एक दर्पण है, जिसमें आत्मा, अनात्मा, जड़ और चेतन सभी कुछ प्रतिबिम्बित हो सकता है। आप और हम दर्पण
Read Moreअक्सर कहा जाता है कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। वैसे ही जीवन के प्रत्येक कार्य भी
Read Moreपेशे से महेशजी छोटे से एक कस्बे के सरकारी विद्यालय में अध्यापक थे। विद्यालय की दूरी घर से लगभग 20
Read Moreजब भी किसी व्यक्ति को गुस्सा (क्रोध) आता है तो वह सामने वाले व्यक्ति को प्रायः अपशब्द तक बोल देता
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