चाँद – बदली की ओट में
शाम गहरा गई थी। आसमान में चाँद चमक रहा था और रजनी अपने कमरे में पड़ी सिसक रही थी। आज
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Read Moreआज पितृ अमावस्या थी। घर में बने तरह तरह के व्यंजनों से भरी थाली पितृदेवों के नाम अपने छत पर
Read Moreजब से नई बहू घर में आई थी, गाहेबगाहे अलमारी से पैसे गायब होने लगे थे। रमा को अपनी नई
Read Moreसभी को सादर अभिवादन ! एक बार फिर एक विशेष दिन के रूप में 10 सितम्बर ने दस्तक दी है।
Read Moreजनता के सेवक ————————— “माननीय नेताजी ! क्या कहूँ उस सिरफिरे पत्रकार से ? किसी भी तरह से टलने का
Read Moreएक बार फिर आया है रक्षा बंधन का त्यौहार आगे भी आता रहेगा यह दिन बार बार एक बार फिर
Read Moreशहर में कई दिनों के सख्त लॉकडाउन के बाद इसमें थोड़ी ढील दी गई। कुछ आवश्यक सेवाओं वाली दुकानों को
Read Moreप्रस्तुत है मेरी कुछ पंक्तियाँ जिसमें यह कहने का प्रयास है कि हमारी कुछ मान्यताएं ,परंपराएं व संस्कार हैं जिनका
Read Moreदफ्तर से निकल कर दीपक बस स्टॉप की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था कि उसके फोन की घंटी बज
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