” संध्या “
संध्या सुन्दरी, जब आती है । आवाज़ देते हुए, चुप-चुप-चुप , साय-साय-साय, पृथ्वी वासियों को, हर जीव जन्तुओ को। प्रियतम
Read Moreसंध्या सुन्दरी, जब आती है । आवाज़ देते हुए, चुप-चुप-चुप , साय-साय-साय, पृथ्वी वासियों को, हर जीव जन्तुओ को। प्रियतम
Read Moreयादों के झरोखों में मिलकर तैरते रहेंगे, यादों रूपी दरिया में डुबे तो खो जायेंगे,। मिलने की कोशिश करते रहना
Read Moreयहाँ दूसरों को ना लाओ भाई। पूछेगा अपने सारा लोग भाई। यह वही जगह है सवँरती थी हँसकर, वह मेरे
Read Moreहमारा बिहार राज्य पहले से ही राजनेताओं के राजनीति एवं भ्रष्टाचार के वजह से गरीब तथा पिछड़ा हुआ है। यहाँ
Read Moreदिवस के अवसान में हमेशा, दृश्यमान हुआ करती थी। कोमलता की भाव लिये , दिखाई दिया करती थी। आँखों के
Read Moreसभी लोग चित्र बनाना जानते हैं। लेकिन ये बच्चे उसमें रंग भरते हैं। बिना रंग के चित्र रास नहीं आता
Read Moreजब तुम जा रही थीं, मुझसे दूर। अपलक देख रही थी, मुझे दूर से। मेरी आँखें देख रही थी, तुझे
Read Moreकविता तुम्हारे सुने दिलों में संगीत भरती है। स्त्री भी तुम्हारे उबे हुए दिलो को बहलाती है। पुरुष जब सूखी
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