गीत – बेटी
बाबुल के आँगन की बेटी , न हुई कभी परायी है जुदा होने की जो सोच लूँ , दिल दे
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Read Moreदान होता महादान, करो वस्तु तुम दान, धन दान, रक्त दान, दान कुछ कीजिए। दान देना नेक काम, करे कोई
Read Moreसुधा तैयार होकर बेटे को लेकर घर से निकल कर जैसे ही थोड़ा आगे गयी तो, चबूतरे पर बैठी हुईं
Read Moreसुनील बचपन में कक्षा में बहुत होशियार तो नहीं , पर एवरेज से ऊपर था , लेकिन देखकर सभी उसे
Read Moreप्रेम की ज्योति बाल कर रखना प्रीत के पल सँभाल कर रखना छोड़ना तुम सभी गमों को अब पाँव तो
Read Moreमैंने लिखे हैं गीत यूँ कितने ही, रूप और प्रेम के सार के कैसे मगर आज लिख लूँ मैं बताओ,
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