कविता : मेरे मखमली से ख्वाब…
जो था, अब नहीं रहा जो है वो कभी था ही नहीं एहसास मे दूरियों और इन्तजार की कसी गाँठ
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Read More1 तुम्हारी याद जैसे ठंडी चाय खो चुकी गर्माहट बिसर चुका है स्वाद ।। 2 सुनो दंभी पुरुष मेरे आखों
Read Moreकितनी अनकही भावनायें कितने अनछुये जज्बात यूंही कोरे पडे है…. आँखों के किनारे थोडे गीले है बातें शुष्क…खाली दामन मेरे
Read Moreऔर क्या है मेरे पास बस तुम्हारी चंद यादें और. मेरी थोडी ख्वाहिशें मेरे डायरी मे तो कोई सुखे गुलाब
Read Moreना जाने क्यो मन अनमना सा है उतर रहा है भीतर तक सन्नाटा कुछ मायुसी बुन रही हुं बेवजह के
Read Moreयू तो मै तुम्हारे बिना नही रह सकती पर अपने वजुद पर लांछन नही सह सकती मेरे निस्वार्थ समपर्ण पर
Read Moreये सर्दीयो की लम्बी लम्बी राते तुम्हारी याद की तपिस बढा देती है उस पर ये खुबसुरत वहम कि तुम
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