प्रेम पथ
मन की आंखों का है इक मन्दिर हृदय की सीढ़ियों को महसूस कर। पहुंचना है तुझे कौन सी मंजिल तक
Read Moreप्रकृति तत्व है हिन्दी इसे तुम जानों वेद सारांश है हिन्दी इसे तुम मानों।।१।। जमीं से आसमां तक सार है
Read Moreअनकहे लम्हों को जो समझ न पाए, उसे कैसे न कहूं कि ये नहीं समझ पाए। अरमानों की मुठ्ठी बन्द
Read Moreहमारे शब्दों ने अनहदों के दायरे देखे हैं। चट्टानों से उत्तर कर सागर की गहराईयों को देखा है। आलोचकों के
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