उठ रहा बिन आग के ही जब धुआं क्या कीजिये।
उठ रहा बिन आग के ही जब धुआं क्या कीजिये। वहम की होती नही कोई दवा क्या कीजिये॥ धडकनें तो
Read Moreउठ रहा बिन आग के ही जब धुआं क्या कीजिये। वहम की होती नही कोई दवा क्या कीजिये॥ धडकनें तो
Read Moreमुरलिया करत हिया में झंकार। अधर धरै जब कृष्ण कन्हैया बाजत दिल के तार। मुरलिया करत हिया में झंकार… खग
Read Moreनाम पर कोहराम कर के क्या मिलेगा। हमको यूं बदनाम कर के क्या मिलेगा॥ वक्त अपने आप कर देंगा बयां
Read Moreनारों से न पेट भरेगा, रोटी और रोजगार चाहिये भाव भावना से न हमको, अब कोई खिलवार चाहिये। हरे केसरी
Read Moreमुंसिफ ने बिन खता ही ख़तावार लिख दिया। बिना गुनाह मुझको गुनहग़ार लिख दिया॥ हर राह अपनों ने छला मुझको
Read Moreदर्दे दिल की दवा दीजिये। आप बस मुस्कुरा दीजिये॥ झुकती नज़रों के पैमानो से। मयकशी कुछ करा दीजिये॥ मेरी तन्हाईयों
Read Moreदेख चुनावी जीत को, मनवा भरे उमंग नेता जी पर चढ़ गया, जूं फ़ागुन का रंग जूं फ़ागुन का
Read Moreअपने ही आघात दे रहे, आंसू दिन और रात दे रहे। चीर रहे है मां का आंचल, मर्यादा को मात
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