बिन्दिया
तेरी बिन्दिया करती है इशारा बार बार क्यूँ हमको पुकारा ये प्रेम की क्या है मूक आमंत्रण या प्यार का
Read Moreसागर की ऑचल है नीला नीला धरती लगती है लाल और पीला पृथ्वी है हमारी अनुपम उपहार रंग विरंगा है
Read Moreचाँदनी है आशमां पे खिली खिली रात ने ली गजब अंगड़ाई है उनकी दर पे लगी है
Read Moreजीवन की झ्स बगिया में रंग विरंगे हैं फूल खिले कोई गोरा कोई है काला अजीब अजीब है
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