कविता

मोबाईल देवा

मोबाईल देवा तुम्हें प्रणाम
विज्ञान की अद्भूत वरदान
सीने में छुपा है बहु ज्ञान
जन जन में तेरी है सम्मान

पूरी दुनियाँ आँचल में समेटे
जग दिखलाते हो लेटे लेटे
गुगल ने दी है बहुत ही ज्ञान
देश दुनियाँ में है तेरा  नाम

कैमरा कलकुलेटर से मुक्ति दाता
टीवी वीडीयो का भाग्य विधाता
गाना सुनना हो गया अब आसान
रेडियो हुई गुम भुला दी पहचान

मौसम के संग समय भी बतलाता
टंकण का भी तुम काम कर जाता
लिखना पढ़ना हो गया आसान
जग में है तुम बहूत ही   महान

अखबार पढ़ाता सामाचार दिखाता
घर बैठे ही पेरिस ले जाकर घूमाता
ज्ञान विज्ञान की हो तुम अवतार
कैसे भूलेगा इन्सां तेरी चमत्कार

गूगल मीट पे बात भी करवाता
तन्हाई में साथ भी निभाता
मिलाते हो दूर दराज से बातें
जीवन की रंगीन हुई अब रातें

बच्चों की परियों की सुनाती कहानी
अद्भूत जीव है तुम्हारे जुवानी
ए बी सी डी का पाठ हुआ आसान
तुमने दी है एक नई सी।    पहचान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088