कविता

कवितापद्य साहित्य

महाशाप…

किसी ऋषि ने   जाने किस युग में   किस रोष में   दे दिया होगा सूरज को महाशाप नियमित, अनवरत, बेशर्त   जलते रहने का   दूसरों को उजाला देने का,   बेचारा सूरज  

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